कला आश्रम आयुर्वेद मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल, गोगुन्दा, उदयपुर में बीएएमएस प्रथम वर्ष (बैच 2020-21) के नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं के लिए ‘शिष्योपनयनीय संस्कार’ एवं 10 दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम का समापन समारोह दिनांक 01.04.2021 को सम्पन्न किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ. दिनेश खत्री, मुख्य प्रबन्धक न्यासी, कला आश्रम फाउण्डेशन, उदयपुर एवं विशिष्ट अतिथि डाॅ. सरोज शर्मा, संरक्षक न्यासी, कला आश्रम फाउण्डेशन, उदयपुर थे। समापन समारोह के समय महाविद्यालय का सम्पूर्ण शैक्षणिक स्टाफ एवं नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं के साथ महाविद्यालय के इन्टरनीज़ विद्यार्थी भी उपस्थित थे।
नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं के लिए दिनांक 22.03.2021 से चल रहे ‘शिष्योपनयनीय संस्कार’ एवं अभिविन्यास कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रो. प्रमोद कुमार भातरा द्वारा आयुर्वेद का इतिहास एवं दर्शन की अवधारणा के बारे में, पंचकर्म विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्ण मुरारी अग्रवाल द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य, राउमावि, संस्कृत भाषा, उदयपुर के प्राचार्य डाॅ. भगवती प्रसाद व्यास द्वारा आयुर्वेद में संस्कृत भाषा की महत्ता के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। प्रिंट मीडिया की पत्रकार सुश्री प्रतिमा हरीगुनानी ने अंग्रेजी भाषा की संवेदनशीलता के बारे में बताया। सेवा मंदिर उदयपुर की मेटरनल हेल्थ प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर डाॅ. संगीता भटनागर ने छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान की। डाॅ. रामपाल सोमानी, भूतपूर्व औषधि निरक्षक, लाईसेन्स ऑथेरिटी व आयर्वुेद डायरेक्टर, राजस्थान सरकार ने आयर्वुेद चिकित्सा प्रसार के बारे में अवगत कराया एवं डाॅ. सरोज शर्मा, संरक्षक न्यासी, कला आश्रम फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा नव प्रवेशित विद्यार्थियों को तनाव प्रबंधन व निर्माण क्षमता के द्वारा जीवन में सफलता प्राप्त करने के बारे में प्रेरित किया। शारीर रचना विभाग में डाॅ. मनफूल पुनिया एवं अन्य आयर्वुेद चिकित्सकों की उपस्थिति में केडेवर शपथ दिलाई गई व इसकी जानकारी प्रदान की गई।
महाविद्यालय में सम्पन्न ‘शिष्योपनयनीय संस्कार’ कार्यक्रम से नव प्रवेशित विद्यार्थीगणों को प्राचीन भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता एवं महत्व के बारे में सारगर्भित जानकारियां प्राप्त हुई।